आँखों के रोग में बहेड़ा के इस्तेमाल से लाभ
- बहेड़ा (belleric myrobalan) और शक्कर के बराबर मात्रा में मिश्रण का सेवन आँखों की ज्योति को बढ़ाता है।
- तिल का तेल, बहेड़ा का तैल, भांगरा का रस तथा विजयसार का काढ़ा लें। इनको लोहे के बर्तन में तेल में पकाएं। इसका रोज प्रयोग करने से आंखों की रोशनी तेज होती है।
- बहेड़ा की छाल को पीसकर मधु के साथ मिलाकर लेप करने से आँख के दर्द का नाश होता है।
- बहेडे की मींगी के चूर्ण को मधु के साथ मिलाकर काजल की तरह लगाने से आँख के दर्द तथा सूजन आदि में लाभ होता है।
- इसके बीज के मज्जा के चूर्ण (Baheda churna) को शहद के साथ मिलाकर महीन पेस्ट बना लें। इसे रोज सुबह काजल की तरह लगाने से आँख का रोग नष्ट होता है।
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ज्यादा लार बहने की समस्या में करें बहेड़ा का उपयोग
1½ ग्राम बहेड़ा में समान मात्रा में शक्कर मिला लें। इसे कुछ दिन तक खाने से अधिक लार बहने की परेशानी ठीक होती है।
दमा में फायदेमंद बहेड़ा का इस्तेमाल
- बहेड़ा और हरड़ की छाल को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इसे 4 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से दमा और खांसी में लाभ होता है।
- बहेड़ा (belleric myrobalan) के बीज रहित फल के 3 से 6 ग्राम छिलके (जिन्हें पुटपाक करके निकाला है) को मुंह में रखकर चूसने से खांसी एवं दमा रोग में लाभ होता है।
- बहेड़ के फल की छाल के चूर्ण (10 ग्राम) में अधिक मात्रा में मधु मिला लें। इसे चाटने से दमा की गंभीर बीमारी तथा हिचकी में भी शीघ्र लाभ होता है।
गुर्दे की पथरी में करें बहेड़ा का उपयोग
बहेड़ा के फल के मज्जा के 3-4 ग्राम चूर्ण में मधु मिला लें। इसे सुबह-शाम चाटने से गुर्दे की पथरी की बीमारी में लाभ होता है।
खाँसी में बहेड़ा से लाभ
- बहेड़ा के छिलके को चूसने से खांसी में लाभ होता है।
- बकरी के दूध में अडूसा, काला नमक और बहेड़ा डालकर पकाकर खाने से हर प्रकार की खांसी में लाभ होता है।
- बहेड़ा के 10 ग्राम चूर्ण (Baheda churna) में शहद मिला लें। इसे सुबह और शाम भोजन के बाद चाटने से सूखी खाँसी तथा पुराने दमा रोग में बहुत लाभ होता है।
- बहेड़ा फल में घी चुपड़ लें। इसके ऊपर आटे का एक अंगुल मोटा लेप लगाकर पका लें। त्वचा के ताप के बराबर ठंडा होने पर इसके ऊपर का आटा निकाल लें। इसके बाद बहेड़ा के छिलके को चूसें। इससे खांसी, जुकाम, दमा तथा गला बैठने की समस्या में लाभ होता है।
- बहेड़ा के एक फल को घी में डुबाकर, घास से लपेटें। इसे गाय के गोबर में बंद करके आग में पका लें। इसे बीजरहित कर मुंह में रख कर चूसें। इससे खांसी, जुकाम, दमा तथा गला बैठने जैसे रोगों का नाश होता है।
बहेड़ा के प्रयोग से हृदय रोग में लाभ
बहेड़ा के फल के चूर्ण तथा अश्वगंधा चूर्ण को समान मात्रा में मिला लें। इसे 5 ग्राम की मात्रा में लेकर गुड़ मिलाकर गर्म पानी के साथ सेवन करने से हृदय रोग में लाभ होता है।
दस्त को रोकता है बहेड़ा
- बहेड़ा फल के 3-6 ग्राम चूर्ण (Baheda churna) को खाने के बाद सेवन करने से पाचनशक्ति ठीक होती है।
- बहेड़ा के पेड़ (baheda tree) की 2-5 ग्राम छाल और 1-2 नग लौंग को पीसकर 1 चम्मच शहद में मिला लें। इसे दिन में 3-4 बार चटाने से दस्त में लाभ होता है।
- बहेड़ा के 2-3 भुने हुए फल का सेवन करने से दस्त की गंभीर बीमारी भी ठीक हो जाती है।
पेशाब में जलन की बीमारी में बहेड़ा से लाभ
बहेड़ा (vibhitaki) के फल के मज्जा के 3-4 ग्राम चूर्ण में मधु मिला लें। इसे सुबह-शाम चाटने से पेशाब में जलन की समस्या में लाभ होता है।
डायबिटीज में बहेड़ा से फायदा
बहेड़ा, रोहिणी, कुटज, कैथ, सर्ज, सप्तपर्ण तथा कबीला के फूलों का चूर्ण बना लें। इसे 2 से 3 ग्राम की मात्रा में लेकर 1 चम्मच मधु के साथ मिलाकर सेवन करें। इससे पित्त विकार के कारण हुए डायबिटीज में लाभ होता है।
बहेड़ा से नपुंसकता का उपचार
3 ग्राम बहेड़ा के चूर्ण में 6 ग्राम गुड़ मिला लें। इसे रोज सुबह-शाम सेवन करने से नपुंसकता मिटती है और काम भावना बढ़ती है।
त्वचा रोग में बहेड़ा से लाभ
बहेड़ा (vibhitaki) फल की मींगी का तेल खाज, खुजली आदि त्वचा रोग में लाभकारी है तथा जलन कम करने वाला है। इसकी मालिश से खुजली और जलन की परेशानी ठीक हो जाती है।
बुखार उतारने के लिए करें बहेड़ा का प्रयोग
बहेड़ा और जवासे के 40-60 मिली काढ़े में 1 चम्मच घी मिला लें। इसे दिन में तीन बार पीने से पित्त और कफ विकार से हुए बुखार में लाभ होता है।
बहेड़ा के मज्जा को पीसकर शरीर पर लेप करने से पित्तज बुखार से होने वाली जलन कम होती है।
सूजन को कम करता है बहेड़ा
बहेड़ा के बीजों को पीस कर लेप करने से सभी प्रकार की सूजन, जलन और दर्द का नाश होता है।
बहेड़ा की मींगी का लेप करने से पित्त विकार के कारण आयी सूजन का ठीक होती है।
नेत्र रोग में फायदेमंद बहेड़ा
नेत्र रोग में बहेड़ा का प्रयोग फायदेमंद होता है क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार बहेड़ा में चक्षुष्य गुण पाया जाता है जिससे बहेड़ा नेत्र संबंधी रोग में लाभ पहुंचाता है।
श्वास रोग में फायदेमंद बहेड़ा
श्वास की समस्या अधिकतर कफ दोष के बढ़ने की वजह से होती है जिसमें श्वसन नली में बलगम इकठ्ठा होना शुरू हो जाता है। बहेड़ा में कफ शामक गुण पाया जाता है साथ ही इसके उष्ण होने के कारण यह बलगम को पिघला कर आराम देने में सहयोगी होता है।
पाचन शक्ति को बेहतर करने में फायदेमंद बहेड़ा
बहेड़ा में उष्ण गुण पाए जाने के कारण यह अग्नि को तीव्र कर पाचन शक्ति को बढ़ाने में भी मदद करता है।